रोटी
रोटी | |
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![]() रोटी | |
उद्भव | |
देश का क्षेत्र | भारतीय उपमहाद्वीप |
व्यंजन का ब्यौरा | |
मुख्य सामग्री | आटा |
अन्य प्रकार | परांठा, मण्डे, भाखरी, पूरी |
रोटी भारतीय उपमहाद्वीप में सामान्य खाने में पका कर खाये जाने वाली चपटी खाद्य सामग्री है। यह आटे एवं पानी के मिश्रण को गूंध कर उससे बनी लोई को बेलकर एवं आँच पर सेंक कर बनाई जाती है। रोटी बनाने के लिए सामान्य रूप से गेहूँ का आटा प्रयोग किया जाता है पर देश के विभिन्न भागों में स्थानीय अनाज जैसे मक्का, जौ, चना, बाजरा आदि भी रोटी बनाने के लिए प्रयुक्त होता है। रोटी में कैलोरी की मात्रा अधिक होती है| भारत के विभिन्न भागों में रोटी के लिए विभिन्न हिंदी नाम प्रचलित हैं, जिनमें प्रमुख हैं: -
- फुल्का
- चपाती
- रोटली
- भाखरी
- टिकड़े या टिक्कड़
शब्द व्युत्पत्ति[संपादित करें]
रोटी शब्द की उत्पत्ति संस्कृत शब्द 'रोटिका' से हुई है।[1] रोटी शब्द के कई उल्लेख 15 वीं शताब्दी में जन्मे हिन्दू धर्म के महान भक्ति परम्परा के सन्त भक्त सूरदास जी द्वारा रचित ग्रन्थ सूरसागर में मिलते हैं। उदाहरण के लिये प्रस्तुत एक पद:
सरस कनिक बेसन मिलै, रुचि रोटी पोई।।
प्रेम सहित परुसन लगी, हलधर की माता।– भक्त सूरदास जी[2]
रोटी के प्रकार[संपादित करें]
![](http://chped.net/https/upload.wikimedia.org/wikipedia/commons/thumb/d/d9/Rotipreparation.jpg/200px-Rotipreparation.jpg)
- नान
- परांठा
- मिस्सी रोटी
- बयारु रोटी
- लच्छा परांठा
- मीठी रोटी
- मण्डे (रूमाल जैसी रोटी)
- तन्दूरी रोटी
- डबल रोटी (ब्रेड)
- सोगरा (बाजरा की रोटी)
इन्हें भी देखें[संपादित करें]
सन्दर्भ[संपादित करें]
- ↑ Tripāṭhī, Bhāgīrathaprasāda (2004). Shabda-nirvachana aura shabdartha. Vāgyoga Cetanāpīṭham. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-85570-25-9.
- ↑ Prabhat Brihat Hindi Shabdakosh (vol-2). Prabhat Prakashan. 2010-01-01. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-7315-770-7.