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दर्शनशास्त्र/चयनित सूक्ति/3
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प्रवेशद्वार:दर्शनशास्त्र
|
चयनित सूक्ति
“
मेरे पिता सहज-चेतना ज्ञान हैं।
मेरी माता सदाउत्तम जननी पूरी वसुधा है।
मैं
द्वैत
की अवधारणाओं का उपभोग करके जीवित हूं।
मेरा उद्देश्य व्याकुल भावनाओं का पतन है।
”
—
पद्मसंभव
(गुरु रिनपोचे), ८ वीं सदी के
बौद्ध आचार्य