प्रत्याहार (योग)
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संस्कृत व्याकरण के सन्दर्भ में प्रत्याहार का अलग अर्थ है। यहाँ पातंजल योग से सम्बन्धित प्रत्याहार की चर्चा की गयी है।
प्रत्याहार, पातंजल द्वारा प्रतिपादित अष्टांग योग का पाँचवाँ चरण है।
बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]
- प्राणायाम, कुण्डलिनी और हठयोग (आचार्य भगवान देव)
- पातंजल योगदर्शन : व्यासभाष्य, उसका हिन्दी अनुवाद एवं सुविशद व्याख्या (गूगल पुस्तक ; व्याख्याकर - हरिहरानन्द आचार्य)